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बीठ गए फिर नौ जन्वरी की रात आई।
उस रात को मैंने लाल रंग की नाइटी बहइनी।
जो चुच्ची उपर से भी जाली दार थी।
भाई उसे देख कर तो मेरी जसुर के आँखें फैल गई।
पागल से हो गए वो।
बीठ गए फिर नौ जन्वरी की रात आई।
उस रात को मैंने लाल रंग की नाइटी बहइनी।
जो चुच्ची उपर से भी जाली दार थी।
भाई उसे देख कर तो मेरी जसुर के आँखें फैल गई।
पागल से हो गए वो।